हर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के कष्ट आते है खासकर छात्र व युवा वर्ग में। जीवन के कष्ट को कोई जीने का आधार बना लेता है तो कोई ज़िंदगी का अंतिम पड़ाव। अक्सर विपरीत परिस्थितियों से घिरा व्यक्ति काफी परेशान रहता है और खुद को संभालने के लिए दूसरे से सहानुभूति और मोटिवेशन की आशा रखता है। वास्तव में देखा जाए तो हर व्यक्ति खुद में एक प्रेरणा है लेकिन कैसे?खुद में छुपी मोटिवेशन के रहस्य को उजागर करता यह पुस्तक “कष्टमेव जयते” अब आपके हाथ में है।
अगर एक युवा अपने लक्ष्य का निर्धारण कर ले फिर उसको पाने के लिए अग्रसर हो जाएगा ,इसके लिए पुस्तक में विभिन्न रचनात्मक क्रिया-कलाप दिये गये हैं जो युवा को रचनात्मक तरीके से पूर्ण सक्षम बनाएगा। “कष्टमेव जयते” एक तरह से युवा मंत्र है जिसके द्वारा एक युवा अपने ज़िंदगी को विपरीत परिस्थियों में भी कैसे संभाल सकता है और सफलता के उच्च शिखर पर पहुँच कर अपनी ज़िंदगी को कैसे प्रेरणा-श्रोत बना सकता है? एक युवा का सफल होना बहुत बड़ा योगदान है देश को आगे बढ़ाने में। अगर यूं कहे कि ये एक बहुत बड़ी समाजसेवा एवं देशभक्ति है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। “कष्टमेव जयते” युवाओं के वर्तमान मनोदशा और किं कर्तव्य विमूढ़ की भावना से उबारने में एक जड़ी-बूटी की तरह काम करेगा। “कष्टमेव जयते” युवावर्ग में व्याप्त घोर निराशा,नकारात्मक सोच और लक्ष्य-विहीन ज़िंदगी को उद्देश्यपूर्ण बनाने में सक्षम है। यह पुस्तक युवावर्ग में एक सकारात्मक सोच को पैदा कर उसे अपनी वास्तविक शक्ति से सम्वलित करेगी।
ग्रामीण जनप्रतिनिधि एक गाँव के वातावरण को सुधारकर ग्रामीण प्रतिभा को कैसे राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर उभार सके जिससे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के “विकसित भारत” और गांधीजी का “स्वराज” का सपना पूरा हो सके। “कष्टमेव जयते” के माध्यम से अंतत: युवाओं के वास्तविक ऊर्जा का अनुप्रयोग देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी रचनात्मक और सकारात्मक कदम द्वारा वह सुविधा मुहैया कराना है जिससे किसान एवं गाँव के प्रतिभाशाली बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के साथ सामाजिक परिवर्तन का वाहक बन सके। व्यक्तिव विकास एवं इसके अनुप्रयोग पर आधारित यह पुस्तक “कष्टमेव जयते” एक मंत्र के रूप में हर वर्ग के लिए उपयुक्त पुस्तक है जो विपरीत परिस्थियों में एक सच्चे दोस्त की तरह साथ निभाएगा।